जड़ों और कंद वाली फसलों के लिए वरदान

Mini Sprinklers

अवलोकन:

जड़ों और कंद वाली फसलों का उपयोग खाने के लिए बहुत ज़्यादा होता है। जैसे-जैसे विश्व की जनसंख्या बढ़ रही है वैसे ही इन फसलों का उपयोग बढ़ रहा है। साथ ही बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक ज़रूरतों के चलते खेती के लिए ज़मीन कम रह गई है, इसलिए हमें ऐसी तकनीक की आवश्यकता है जिससे कम भूमि और सही मात्रा में पानी का इस्तेमाल करके इन फसलों की उपज को बढ़ाया जा सके। बेहतर सिंचाई और उर्वरक इन फसलों की उपज और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बेहद आवश्यक है।

कंद वाली फसलें:

आलू, शलगम, शकरकंदी, मूली, गाजर और चुकंदर

Tuberous Crops

मिनी स्प्रिंकलर के बारे में:

  • फसलों की उगाई के दौरान स्थायी सिस्टम प्रदान करता है, कटाई के दौरान आसानी से हटाया जा सकता है।
  • इसकी सिंचाई से पानी सही तरह से ज़मीन के अंदर जाता है और समान रूप से सिंचाई होती है।
  • यह फसल की ऊपर से, बार बार और हल्की सिंचाई करता है|(3-5mm/hr.)
  • यह कम प्रेशर में भी काम करता है! (1.5-2 kg/cm2)
  • इसे लगाने के लिए 8m X 8m से 10m X 10m तक की स्प्रिंकलरो के बीच दुरी होनी चाहिए – चाहे फसलों के बीच में जगह कम हो या ज़्यादा

कृषि से सम्बंधित तकनीकी लाभ:

  • यह मिट्टी में बेहतर वायु संचारण में सहायक है|
  • यह अंकुरण के समय में ज़मीन के तापमान को कंट्रोल करता है, जिससे कि शानदार अंकुरण संभव हो पाता है क्योंकि तापमान 18 से 20 डिग्री तक ही रहता है|
  • यह माइक्रो क्लाइमेट बनाता है जिससे कि पौधे की जड़ो को विकास में मदद मिलती है|
  • इसकी सिंचाई से मिट्टी न तो ज़्यादा इकठ्ठी होती है और ना ही ज़्यादा जमती है जिसकी वजह से कंद वाली फसलों का आकार और साइज़ समान रहता है|
  • इसके द्वारा उर्वरक और पोषक तत्व पत्तों पर गिरते हैं जिससे कि वह फसल में जल्दी ही अंदर चले जाते हैं|
  • इसकी बूँदों से फसल के पत्ते नियमित अंतराल पर धुलते रहते हैं जिसके कारण प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा की प्रक्रिया बेहतर हो जाती है| जिसके परिणामस्वरूप फसल की उपज और गुणवत्ता दोनों ही बढ़ जाते हैं|
  • -3 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में भी यह पाले से सुरक्षा प्रदान करता है|
  • आलू की खेती में यह आलूओं के कटने-फटने की संभावना को ही समाप्त कर देता है जो कि सामान्यतः 2 -3 % तक होती है जब आलू को मशीनों द्वारा मिट्टी से निकला जाता है|

अन्य लाभ:

  • ड्रिप इरिगेशन की तुलना में यह ज़्यादा जल्दी लगाया जा सकता है|
  • ड्रिप इरिगेशन की तुलना में इसको फिल्ट्रेशन की कम आवश्यकता होती है|
  • ज़मीन को समतल करने और क्यारियाँ बनाने की लागत भी नहीं लगती|
  • नोज़ल और रोटर की स्थिति को आसानी से बदला जा सकता है और सिंचाई को ज़रुरत के हिसाब से ठीक किया जा सकता है।
  • ड्रिप इरिगेशन की तुलना में सिंचाई से जुड़ी कम वस्तुएँ सँभालने और स्टोर करने की ज़रूरत पड़ती है|
  • यह बहुत मज़बूत होता है और औसतन 8-10 साल तक चलता है|
  • यह किसी भी साइज़ के खेत पर सिंचाई और फर्टिगेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है|
Agro Technical